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<poem>
बिल से निकली चुहिया रानी,

लगी चाल चलने मस्तानी|

बोली मैं हूँ घर की मुखिया,

दुनिया है मेरी दीवानी|

मेरी मर्जी से ही मिलता,

सबको घर का राशन पानी|

मुझसे आकर कोई न उलझे,

पहलवान है मेरी नानी|

तभी अचानक खिड़की में से,

आ धमकी बिल्ली महारानी|

डर के मारे बिल में घुस गई

वीर बहादुर चुहिया रानी|

</poem>
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