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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
बिल से निकली चुहिया रानी,
लगी चाल चलने मस्तानी|
बोली मैं हूँ घर की मुखिया,
दुनिया है मेरी दीवानी|
मेरी मर्जी से ही मिलता,
सबको घर का राशन पानी|
मुझसे आकर कोई न उलझे,
पहलवान है मेरी नानी|
तभी अचानक खिड़की में से,
आ धमकी बिल्ली महारानी|
डर के मारे बिल में घुस गई
वीर बहादुर चुहिया रानी|
</poem>
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बिल से निकली चुहिया रानी,
लगी चाल चलने मस्तानी|
बोली मैं हूँ घर की मुखिया,
दुनिया है मेरी दीवानी|
मेरी मर्जी से ही मिलता,
सबको घर का राशन पानी|
मुझसे आकर कोई न उलझे,
पहलवान है मेरी नानी|
तभी अचानक खिड़की में से,
आ धमकी बिल्ली महारानी|
डर के मारे बिल में घुस गई
वीर बहादुर चुहिया रानी|
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