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08:34, 28 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
गोचर से छिपा
गिर न जाय
कहीं
पंखुरियां जिसकी
फूल वह
हिलगा पर
खो बैठा
सारा
फूल भी
बचाने की कोशिश में
गोचर (न) रहा
</poem>
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