भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मन में प्रश्न अखरता है
रात होते ही चंदा क्यों
मेरा पीछा करता है।है?
मैं जो चलूं चलूँ तो चलने लगतारुक जाऊं जाऊँ तो रुक जाता हैमैं जो हंसू हँसू तो हंसने हँसने लगताशरमाऊं शरमाऊँ तो शरमाता है।
मईया बोली सुन रे बेटा,
जैसे भौरा रस की खातिर
फूलों पर मंडराता है
अंबर अवनी को बांहों बाँहों में
भरने को हाथ बढ़ाता है।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,119
edits