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Kavita Kosh से
मन में प्रश्न अखरता है
रात होते ही चंदा क्यों
मेरा पीछा करता है।है?
मैं जो चलूं चलूँ तो चलने लगतारुक जाऊं जाऊँ तो रुक जाता हैमैं जो हंसू हँसू तो हंसने हँसने लगताशरमाऊं शरमाऊँ तो शरमाता है।
मईया बोली सुन रे बेटा,
जैसे भौरा रस की खातिर
फूलों पर मंडराता है
अंबर अवनी को बांहों बाँहों में
भरने को हाथ बढ़ाता है।