भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatGhazal}}
<poem>
बदले मौसम, बदलें हम सुख- दुःख यकसाँ, करलें अपना समझें हम
फ़ुरसत हो तो आ जाओ कुछ सुनलें कुछ, कहलें हम
इक दूजे की आँखों से दिल में क्या है, पढ़लें हम
बच्चों जैसे, बहलें हम
दुनिया भर के ग़म सारेहँसते-हँसते, सहलें हम आओ 'रक़ीब' दुआओं से खाली ख़ाली झोली, भरलें हम
</poem>