Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कीरति कुमारी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कीरति कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}

<poem>
अब तो मोहन से भी लागी लगन,
हम प्रिय प्यारे की छबि में मगन॥
अंग-अंग युगल शोभा सँवार,
लखि दोउन लानत कोटि मदन॥
मुसकात दोऊ जब मन्द-मन्द,
दामिनि सो दमकत दोउ रदन।
‘कीरति’ उन निवसतु युगल प्रिये,
रहे ध्यान सदा तब युगन युगन॥

</poem>
761
edits