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Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poemPoem>आकाश के अनंत छोर तक पहुंचपहुँच
बच्चों के लिए चुग्गा जुटा कर
सांझ समय वापिस पहुंच सकूंपहुँच सकूँ
अपने घोंसले में
वे पंख देना मुझे ।
युगों से अंधकार में गुम
सुखों को शोध सकूंसकूँ
भावी पीढ़ियों के लिए
वह आंख आँख देना मुझे
अन्यथा ओ ईश्वर !