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नदी है / केदारनाथ अग्रवाल

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{{KKRachna
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
|संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह / केदारनाथ अग्रवाल; आग का आईना / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKCatKavita}}    <poem>
नदी है
 
अब भी है
 
तट के पास
 
तट से सटी
  ('''रचनाकाल :02.04.1968)०२-०४-१९६८'''</poem>
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