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{{KKRachna
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल
|संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ की देह / केदारनाथ अग्रवाल; आग का आईना / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKCatKavita}} <poem>
नदी है
अब भी है
तट के पास
तट से सटी