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सोचने बैठे जब भी उसको / निदा फ़ाज़ली
Kavita Kosh से
सोचने बैठे जब भी उसको
अपनी ही तस्वीर बना दी
ढूँढ़ के तुझ में, तुझको हमने
दुनिया तेरी शान बढ़ा दी