भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सोहैं साँवरे पथिक, पाछे ललना लोनी/ तुलसीदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(22)

सोहैं साँवरे पथिक, पाछे ललना लोनी |

दामिनि-बरन गोरी, लखि सखि तृन तोरी,

बीती हैं बय किसोरी, जोबन होनी ||

नीके कै निकाई देखि, जनम सफल लेखि
,
हम-सी भूरि-भागिनि नभ न छोनी |

तुलसी-स्वामी-स्वामिनि जोहे मोही हैं भामिनि,

सोभा-सुधा पिए करि अँखिया दोनी ||