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सोहैं साँवरे पथिक, पाछे ललना लोनी/ तुलसीदास
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सोहैं साँवरे पथिक, पाछे ललना लोनी |
दामिनि-बरन गोरी, लखि सखि तृन तोरी,
बीती हैं बय किसोरी, जोबन होनी ||
नीके कै निकाई देखि, जनम सफल लेखि
,
हम-सी भूरि-भागिनि नभ न छोनी |
तुलसी-स्वामी-स्वामिनि जोहे मोही हैं भामिनि,
सोभा-सुधा पिए करि अँखिया दोनी ||