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"अंकुरण / रंजना जायसवाल" के अवतरणों में अंतर

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20:53, 3 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

हमारे सपने
टूटे नहीं थे
फूटकर बिखर गए थे
सोचा सबने –
मिट गए
पर वे बिखरे थे
फिर से अंकुरित होने के लिए