भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंधेरे में देखना / प्रताप सहगल

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:14, 14 अक्टूबर 2013 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अंधेरे में देखना
Andhere-mein-dekhna-pratap-sehgal.jpg
रचनाकार प्रताप सहगल
प्रकाशक अभिरुचि प्रकाशन, विश्वासनगर, शाहदरा, दिल्ली-110032
वर्ष 1994
भाषा हिन्दी
विषय
विधा
पृष्ठ 94
ISBN
विविध कवि का चौथा कविता संग्रह
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।