भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
किसी के अधर की मुस्कान बन जाना।
किसी भीगे कंठ का गान बन जाना।
जिस गाँव शहर में घिरा छाया हो अँधेरा।
उसके कूचे का दिनमान बन जाना।
-0-
<poem>