भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपनी बेटी के लिए / स्तेफान स्पेन्डर

Kavita Kosh से
सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:47, 8 फ़रवरी 2009 का अवतरण ()

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


टहल रहे हम साथ आज; मैं, मेरी बिटिया
कितनी उजली पकड़ हाथ की उस के पूरे
मेरी इस उंगली पर
आजीवन आलोक-वलय यह
इस हड्डी के गिर्द करुंगा अनुभव मैं, जब
हो जाएगी बड़ी- आज से दूर, कि जैसे
दूर देखती आँखें उस की अभी, आज ही

अंग्रेज़ी से अनुवाद : रमेशचंद्र शाह