भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अब कोई प्यार की पहल तो करे / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:55, 10 जुलाई 2011 का अवतरण
अब कोई प्यार की पहल तो करे
ज़िन्दगी का सवाल हल तो करे
कोई सूरत हो या हो वीरानी
दिल किसी बात पर अमल तो करे
राह आगे की मिल ही जायेगी
उम्र भर की कोई टहल तो करे
शोख़ियाँ, पर वे आइने में कहाँ!
उनकी हरदम करे नक़ल, तो करे
पंखड़ी है गुलाब की बेरंग
छूके होँठों से वह ग़ज़ल तो करे