भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अस भूलन परी अपार हो / संत जूड़ीराम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संत जूड़ीराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

03:40, 29 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

अस भूलन परी अपार हो पारख मिले न पारखी।
ओंकार के पदे में हो भटक फिरे संसार।
अक्षर को चीन्हों नहिं अर मिल करत निहार हो।
इच्छा माया रची पांच तत्त गुण तीन।
काल कर्म लै संचरों दुख-सुख भयो अधीन हो।
जो लो मिसरत तत्त की तो लो सुखी जमत।
मिसरत छूटी महल से भयो अंध को पत्र हो।
विन विवेक मत बाबरी कहत थतोला बात।
जूड़ीराम शबदै लखै शीतल भयो न गात हो।