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"आगू आगू नाचै छै कहरिया रे / अंगिका लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

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15:41, 27 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

इस विधि को सम्पन्न करत समय दुलहे की माँ को गालियाँ देने का प्रचलन है। दुलहे की माँ का पुरुष वेष धारण करने और उसके नाचने का उल्लेख इस गीत में हुआ है।

आगू<ref>आगे</ref> आगू नाचै<ref>नाचता है</ref>छै कहरिया रे, पिछू<ref>पीछे</ref> नाचै चमार।
ताहिं<ref>लगता है</ref> पिछू नाच करे कवन छिनार, अच्छा लागै<ref>लगता है</ref> छौ गे माय॥1॥
पीन्ह<ref>पहनो</ref> गे छिनरिया सोहलो<ref>सोलहो</ref> पोसाक, कम्मर<ref>कमर</ref> बाँन्ह तरबार<ref>तलवार</ref>।
मरद के भेस बनि निकललै बजार, कम्मर बाँन्ह तरबार॥2॥

शब्दार्थ
<references/>