भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आती हैं घड़ियां मिलन की बडे शुभ संयोग से / चित्रभूषण श्रीवास्तव 'विदग्ध'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चित्रभूषण श्रीवास्तव 'विदग्ध' |अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:22, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

खुशी मिलती मन को सबके स्नेह औ सहयोग से
बढ़ा करती दूरियाँ नित द्वेश और वियोग से

फूलो से ले सीख अपनी जिदंगी महकाइये
बाड कांटो की लगाकर चुभन मन बिखराइये
बढती नई पीडायें सूनेपन से औं नये रोग से

अपसी सद्भाव से बढते है मन के हौसले
मन अगर हो निश्कपट तो होते सच्चे फैसले
प्रेम बढता है हमेशा प्रेम के ही प्रयोग से

सच्चाई के रास्ते में आते कई एक विघ्न है
क्योंकि सद्भाव संग शंकाये भी संलग्न है
विघ्न होते कम सदा सबके हो तो सहयोग से

आये शुभ अवसर का सबको लाभ लेना चाहिये
मन के हर कटुता कलुश को त्याग देना चाहिये
सुख नहीं मिलता कभी दुर्भाव के उपयोग से

आती हैं घडियाँ मिलन की शुभ बड़े संयोग से
है अमित सुख शांति सबको स्नेह के उपयोग से