भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आदमी देवता नही होता / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> आद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र | |रचनाकार=डी. एम. मिश्र | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र |
}} | }} | ||
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} |
10:27, 2 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
आदमी देवता नही होता
पाक दामन सदा नही होता।
कब , कहाँ, क्या गुनाह हो जाये
ये किसी को पता नहीं होता।
आदमी आसमान छू सकता
वक़्त से , पर बड़ा नहीं होता।
काम का बस जुनून चढ़ जाये
उससे बढ़कर नशा नहीं होता।
टूटकर हम बिखर गये होते
साथ गर आपका नहीं होता।
जब तलक आँख नम न हो जाये
हक़ ग़ज़ल का अदा नहीं होता ।