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"आ रही रवि की सवारी / हरिवंशराय बच्‍चन" के अवतरणों में अंतर

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आ रही रवि की सवारी।
 
आ रही रवि की सवारी।
 
  
 
नव-किरण का रथ सजा है,
 
नव-किरण का रथ सजा है,
 
 
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
 
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
 
 
बादलों-से  अनुचरों ने स्‍वर्ण की पोशाक धारी।
 
बादलों-से  अनुचरों ने स्‍वर्ण की पोशाक धारी।
 
 
आ रही रवि की सवारी।
 
आ रही रवि की सवारी।
 
  
 
विहग, बंदी और चारण,
 
विहग, बंदी और चारण,
 
 
गा रही है कीर्ति-गायन,
 
गा रही है कीर्ति-गायन,
 
 
छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी।
 
छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी।
 
 
आ रही रवि की सवारी।
 
आ रही रवि की सवारी।
 
  
 
चाहता, उछलूँ विजय कह,
 
चाहता, उछलूँ विजय कह,
 
 
पर ठिठकता देखकर यह-
 
पर ठिठकता देखकर यह-
 
 
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी।
 
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी।
 
 
आ रही रवि की सवारी।
 
आ रही रवि की सवारी।
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17:00, 19 मई 2020 के समय का अवतरण

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आ रही रवि की सवारी।

नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने स्‍वर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी।

विहग, बंदी और चारण,
गा रही है कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी।
आ रही रवि की सवारी।

चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह-
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी।
आ रही रवि की सवारी।