भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इंद्रजित भालेराव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachnakaar
+
{{KKParichay
 
|चित्र=Indrajeet-bhalerao.jpg
 
|चित्र=Indrajeet-bhalerao.jpg
 
|नाम=इंद्रजित भालेराव
 
|नाम=इंद्रजित भालेराव
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
 
}}
 
}}
 
* [[आत्महत्या का संदर्भ / इंद्रजित भालेराव]]
 
* [[आत्महत्या का संदर्भ / इंद्रजित भालेराव]]
 +
 +
 +
 +
 +
"लोककथा पिता की"
 +
 +
लोककथा में राजकुमारी का
 +
जीवन जैसे तोते में होता है
 +
वैसे ही पिता का जीवन भी फसल में होता है,
 +
 +
तोते के पंख उतार दिए जाते है
 +
तो राजकुमारी के हाथ टूटकर गिर जाते हैं,
 +
तोते की गर्दन मरोड़ दी जाती है
 +
तो राजकुमारी की गर्दन टूट जाती है,
 +
तोते की जान चली जाती है
 +
तो राजकुमारी भी मर जाती है,
 +
 +
बारिश ने मुंह मोड़ लेने से जब भी फसल सूख जाती है,
 +
वैसे पिता जी का चेहरा भी सूख जाता है,
 +
फसल ने मान झुका ली
 +
तो पिता भी मान झुका लेते हैं,
 +
और मान लीजिए कि फसल उगी ही नहीं
 +
तो पिता खुद को मिट्टी में गाड़ लेते हैं,
 +
 +
पिता को जिंदा रखना है
 +
तो अब कुछ भी करके
 +
फसल को बचाना होगा !!!
 +
 +
(मूल मराठी कविता
 +
-इंद्रजीत भालेराव
 +
 +
हिंदी अनुवाद
 +
- विजय नगरकर)
 +
#अनुवाद

05:54, 16 मार्च 2024 के समय का अवतरण

इंद्रजित भालेराव
Indrajeet-bhalerao.jpg
जन्म 05 जनवरी 1962
निधन
उपनाम
जन्म स्थान महाराष्ट्र, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
कुल दस काव्य-संग्रह
विविध
जीवन परिचय
इंद्रजित भालेराव / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/{{{shorturl}}}





"लोककथा पिता की"

लोककथा में राजकुमारी का जीवन जैसे तोते में होता है वैसे ही पिता का जीवन भी फसल में होता है,

तोते के पंख उतार दिए जाते है तो राजकुमारी के हाथ टूटकर गिर जाते हैं, तोते की गर्दन मरोड़ दी जाती है तो राजकुमारी की गर्दन टूट जाती है, तोते की जान चली जाती है तो राजकुमारी भी मर जाती है,

बारिश ने मुंह मोड़ लेने से जब भी फसल सूख जाती है,
वैसे पिता जी का चेहरा भी सूख जाता है,

फसल ने मान झुका ली तो पिता भी मान झुका लेते हैं, और मान लीजिए कि फसल उगी ही नहीं तो पिता खुद को मिट्टी में गाड़ लेते हैं,

पिता को जिंदा रखना है तो अब कुछ भी करके फसल को बचाना होगा !!!

(मूल मराठी कविता

-इंद्रजीत भालेराव

हिंदी अनुवाद - विजय नगरकर)

  1. अनुवाद