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"इक घर बना लेते जहाँ / विपिन सुनेजा 'शायक़'" के अवतरणों में अंतर
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हम गिड़गिड़ाते ही रहे उस पर असर कोई न था | हम गिड़गिड़ाते ही रहे उस पर असर कोई न था | ||
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ज़िन्दा रहे किसके लिए अपना अगर कोई न था | ज़िन्दा रहे किसके लिए अपना अगर कोई न था | ||
− | हमको हमारे बाद कोई याद करता | + | हमको हमारे बाद कोई याद करता किसलिए |
कुछ शे'र कहने के सिवा हममें हुनर कोई न था | कुछ शे'र कहने के सिवा हममें हुनर कोई न था | ||
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02:10, 11 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
इक घर बना लेते जहाँ, ऐसा नगर कोई न था
हम उम्र भर चलते रहे और हमसफ़र कोई न था
हमको सदा उस पार से आवाज़ सी आती रही
जब फ़ासिले तय कर लिए देखा उधर कोई न था
पत्थर को माना देवता लेकिन वो पत्थर ही रहा
हम गिड़गिड़ाते ही रहे उस पर असर कोई न था
ख़ुशफ़हमियों में हमने कितना वक़्त ज़ाया कर दिया
ज़िन्दा रहे किसके लिए अपना अगर कोई न था
हमको हमारे बाद कोई याद करता किसलिए
कुछ शे'र कहने के सिवा हममें हुनर कोई न था