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"ईसुरी की फाग-1 / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

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तुम खों छोड़न नहि विचारें
 
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भरवौ लों अख्तयारें
 
भरवौ लों अख्तयारें
 
 
जब ना हती, कछू कर घर की, रए गरे में डारें
 
जब ना हती, कछू कर घर की, रए गरे में डारें
 
 
अब को छोड़ें देत, प्रान में प्यारी भई हमारें
 
अब को छोड़ें देत, प्रान में प्यारी भई हमारें
 
 
लगियो न भरमाए काऊ के, रैयो सुरत सम्भारें
 
लगियो न भरमाए काऊ के, रैयो सुरत सम्भारें
 
 
ईसुर चाएँ तुमारे पीछें, घलें सीस तलवारें
 
ईसुर चाएँ तुमारे पीछें, घलें सीस तलवारें
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====भावार्थ====
''' भावार्थ'''<br><br>
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तुम्हें छोड़ने का मेरा कोई विचार नहीं है, चाहे मरना पड़ जाए। मैं तुम्हें तब से गले में डाले हुए हूँ, जब तुम जवान नहीं थीं और पुरुष के आनन्द की चीज़ नहीं थीं। अब तो तुम यौवन की मालकिन हो। अब, भला, कैसे छोड़ूंगा तुम्हें। अब तो तुम मेरे मन-प्राण में बसी हुई हो। बस, अब तुम्हें कोई कितना भी भरमाए, उसके भरमाए में मत आना। चाहें तुम्हारे पीछे तलवारें चल जाएँ और सिर कट जाएँ। लेकिन ईसुर को अब किसी बात की परवाह नहीं है।
 
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तुम्हें छोड़ने का मेरा कोई विचार नहीं है, चाहे मरना पड़ जाए । मैं तुम्हें तब से गले में डाले हुए हूँ, जब तुम जवान  
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नहीं थीं और पुरुष के आनन्द की चीज़ नहीं थीं । अब तो तुम यौवन की मालकिन हो । अब, भला, कैसे छोड़ूंगा तुम्हें ।
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अब तो तुम मेरे मन-प्राण में बसी हुई हो । बस, अब तुम्हें कोई कितना भी भरमाए, उसके भरमाए में मत आना ।
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चाहें तुम्हारे पीछे तलवारें चल जाएँ और सिर कट जाएँ । लेकिन ईसुर को अब किसी बात की परवाह नहीं है ।
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13:25, 7 अप्रैल 2013 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तुम खों छोड़न नहि विचारें
भरवौ लों अख्तयारें
जब ना हती, कछू कर घर की, रए गरे में डारें
अब को छोड़ें देत, प्रान में प्यारी भई हमारें
लगियो न भरमाए काऊ के, रैयो सुरत सम्भारें
ईसुर चाएँ तुमारे पीछें, घलें सीस तलवारें

भावार्थ

तुम्हें छोड़ने का मेरा कोई विचार नहीं है, चाहे मरना पड़ जाए। मैं तुम्हें तब से गले में डाले हुए हूँ, जब तुम जवान नहीं थीं और पुरुष के आनन्द की चीज़ नहीं थीं। अब तो तुम यौवन की मालकिन हो। अब, भला, कैसे छोड़ूंगा तुम्हें। अब तो तुम मेरे मन-प्राण में बसी हुई हो। बस, अब तुम्हें कोई कितना भी भरमाए, उसके भरमाए में मत आना। चाहें तुम्हारे पीछे तलवारें चल जाएँ और सिर कट जाएँ। लेकिन ईसुर को अब किसी बात की परवाह नहीं है।