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"कविता कोश के ग्यारह वर्ष" के अवतरणों में अंतर

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स्वयंसेवा पर आधारित भारतीय काव्य की विशालतम परियोजना कविता कोश के आज ग्यारह वर्ष पूरे हो गए हैं। यह अव्यवसायिक परियोजना 5 जुलाई 2006 को आरम्भ की गई थी और इसे बहुत से स्वयंसेवकों ने मिलकर आगे बढ़ाया है। आज यह परियोजना भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में  सूर्य के समान चमक रही है। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस परियोजना ने स्वयंसेवा को एक नई पहचान दिलाई है। सब लोग मिलकर पूरे समाज के लिए यदि निस्वार्थ कार्य करें तो असंभव लगने वाले सामाजिक कार्य भी संभव हो जाते हैं।
 
स्वयंसेवा पर आधारित भारतीय काव्य की विशालतम परियोजना कविता कोश के आज ग्यारह वर्ष पूरे हो गए हैं। यह अव्यवसायिक परियोजना 5 जुलाई 2006 को आरम्भ की गई थी और इसे बहुत से स्वयंसेवकों ने मिलकर आगे बढ़ाया है। आज यह परियोजना भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में  सूर्य के समान चमक रही है। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस परियोजना ने स्वयंसेवा को एक नई पहचान दिलाई है। सब लोग मिलकर पूरे समाज के लिए यदि निस्वार्थ कार्य करें तो असंभव लगने वाले सामाजिक कार्य भी संभव हो जाते हैं।
  
हर वर्ष की भांति मैं कविता कोश की इस वर्षगांठ पर भी बीते वर्ष का लेखा-जोख प्रस्तुत कर रहा हूँ। पिछले एक वर्ष में हमनें कई नई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। सबसे पहले तो ये कि इस ग्यारहवें वर्ष में कोश में उपलब्ध पन्नों की संख्या एक लाख से ऊपर हो गई है। '''इस लेख के लिखे जाते समय कुल 1,12,026 पन्नें कविता कोश में उपलब्ध हैं।''' इस तरह ग्यारहवें वर्ष में हमने कोश में 17,000 से अधिक पन्नों को जोड़ा है -- यह संख्या किसी भी एक वर्ष में जोड़े गए पन्नों की संख्या से अधिक है। इस वर्ष जिन स्वयंसेवकों ने इस दिशा में सर्वाधिक योगदान दिया वे हैं: [[सदस्य:Sharda_suman|शारदा सुमन]] (अभी तक कुल पन्नें: 19516), [[ललित कुमार]] (15880 पन्नें), [[राहुल शिवाय]] (1724 पन्नें), [[सुमन पोखरेल]] व सृजनबिंदु टीम (3011 पन्नें), [[अनिल जनविजय]] (23878 पन्नें) और [[आशिष पुरोहित]] (5637 पन्नें)।
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हर वर्ष की भांति मैं कविता कोश की इस वर्षगांठ पर भी बीते वर्ष का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहा हूँ। पिछले एक वर्ष में हमनें कई नई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। सबसे पहले तो ये कि इस ग्यारहवें वर्ष में कोश में उपलब्ध पन्नों की संख्या एक लाख से ऊपर हो गई है। '''इस लेख के लिखे जाते समय कुल 1,12,026 पन्नें कविता कोश में उपलब्ध हैं।''' इस तरह ग्यारहवें वर्ष में हमने कोश में 17,000 से अधिक पन्नों को जोड़ा है -- यह संख्या किसी भी एक वर्ष में जोड़े गए पन्नों की संख्या से अधिक है। इस वर्ष जिन स्वयंसेवकों ने इस दिशा में सर्वाधिक योगदान दिया वे हैं: [[सदस्य:Sharda_suman|शारदा सुमन]] (अभी तक कुल पन्नें: 19516), [[ललित कुमार]] (15880 पन्नें), [[राहुल शिवाय]] (1724 पन्नें), [[सुमन पोखरेल]] व सृजनबिंदु टीम (3011 पन्नें), [[अनिल जनविजय]] (23878 पन्नें) और [[आशिष पुरोहित]] (5637 पन्नें)।
  
 
पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी [[अंगिका|अंगिका विभाग]] के स्वयंसेवकों ने सबसे बढ़िया कार्य किया। अब से करीब 18 महीने पहले फ़रवरी 2016 में स्थापित इस विभाग ने इस थोड़े ही समय में शानदार काम किया है। हिन्दी/उर्दू विभाग के बाद अंगिका विभाग इस समय कोश में उपलब्ध सबसे बड़ा विभाग है। [[राहुल शिवाय]] और [[अमरेन्द्र|डॉ. अमरेन्द्र]] को इस कार्य का श्रेय जाता है।
 
पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी [[अंगिका|अंगिका विभाग]] के स्वयंसेवकों ने सबसे बढ़िया कार्य किया। अब से करीब 18 महीने पहले फ़रवरी 2016 में स्थापित इस विभाग ने इस थोड़े ही समय में शानदार काम किया है। हिन्दी/उर्दू विभाग के बाद अंगिका विभाग इस समय कोश में उपलब्ध सबसे बड़ा विभाग है। [[राहुल शिवाय]] और [[अमरेन्द्र|डॉ. अमरेन्द्र]] को इस कार्य का श्रेय जाता है।

10:29, 5 जुलाई 2017 का अवतरण

स्वयंसेवा पर आधारित भारतीय काव्य की विशालतम परियोजना कविता कोश के आज ग्यारह वर्ष पूरे हो गए हैं। यह अव्यवसायिक परियोजना 5 जुलाई 2006 को आरम्भ की गई थी और इसे बहुत से स्वयंसेवकों ने मिलकर आगे बढ़ाया है। आज यह परियोजना भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में सूर्य के समान चमक रही है। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस परियोजना ने स्वयंसेवा को एक नई पहचान दिलाई है। सब लोग मिलकर पूरे समाज के लिए यदि निस्वार्थ कार्य करें तो असंभव लगने वाले सामाजिक कार्य भी संभव हो जाते हैं।

हर वर्ष की भांति मैं कविता कोश की इस वर्षगांठ पर भी बीते वर्ष का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहा हूँ। पिछले एक वर्ष में हमनें कई नई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। सबसे पहले तो ये कि इस ग्यारहवें वर्ष में कोश में उपलब्ध पन्नों की संख्या एक लाख से ऊपर हो गई है। इस लेख के लिखे जाते समय कुल 1,12,026 पन्नें कविता कोश में उपलब्ध हैं। इस तरह ग्यारहवें वर्ष में हमने कोश में 17,000 से अधिक पन्नों को जोड़ा है -- यह संख्या किसी भी एक वर्ष में जोड़े गए पन्नों की संख्या से अधिक है। इस वर्ष जिन स्वयंसेवकों ने इस दिशा में सर्वाधिक योगदान दिया वे हैं: शारदा सुमन (अभी तक कुल पन्नें: 19516), ललित कुमार (15880 पन्नें), राहुल शिवाय (1724 पन्नें), सुमन पोखरेल व सृजनबिंदु टीम (3011 पन्नें), अनिल जनविजय (23878 पन्नें) और आशिष पुरोहित (5637 पन्नें)।

पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंगिका विभाग के स्वयंसेवकों ने सबसे बढ़िया कार्य किया। अब से करीब 18 महीने पहले फ़रवरी 2016 में स्थापित इस विभाग ने इस थोड़े ही समय में शानदार काम किया है। हिन्दी/उर्दू विभाग के बाद अंगिका विभाग इस समय कोश में उपलब्ध सबसे बड़ा विभाग है। राहुल शिवाय और डॉ. अमरेन्द्र को इस कार्य का श्रेय जाता है।

जनवरी 2015 में स्थापित नेपाली विभाग ने भी इस वर्ष अच्छी प्रगति की है। सृजनबिंदु टीम ने इस विभाग में मन लगाकर काम किया और इस समय तीन सौ से अधिक नेपाली कवियों की 2500 से अधिक रचनाएँ इस विभाग में उपलब्ध हैं।

इसी वर्ष कविता कोश "सूत्र" शृंखला के अंतर्गत नोहर, राजस्थान (18 सितम्बर 2016) और बाँका, बिहार (26 फ़रवरी 2017) में साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। नोहर में कार्यक्रम के आयोजन का श्रेय आशिष पुरोहित व उनकी टीम और बाँका में कार्यक्रम का श्रेय राहुल शिवाय और उनकी टीम को जाता है। इन दोनों युवा स्वयंसेवकों ने पूरे मन से अपने-अपने विभागों को संभाला है और विकसित किया है।

कुमार अमित के रूप में कविता कोश को एक और ऐसा युवा स्वयंसेवक मिला है जिसने कोश के विकास में आ रही एक बड़ी बाधा को दूर किया है। कविता कोश को आरम्भ से ही किसी ऐसे स्वयंसेवक की तलाश थी जो कोश के काम को ख़ूबसूरत तरीके से समाज के सामने रख सके। करीब दस वर्ष तक कोश ने मुझे ग्राफ़िक डिज़ाइनर के तौर पर झेला लेकिन अमित ने जब से इस काम को संभाला है, कोश खूबसूरत हो गया है। अमित एक बेहतरीन ग्राफ़िक डिज़ाइनर होने के साथ-साथ और भी कई क्षेत्रों में दक्ष हैं... और बहुत अच्छे स्वयंसेवक तो हैं ही। अमित के कविता कोश से जुड़ने से कोश के लिए नए आयाम खोजे जा सकेंगे।

कविता कोश बिना किसी तकनीकी समस्या के पूरे वर्ष ऑनलाइन रहा तो इसकी वजह श्री सुधीर गंदोत्रा रहे हैं। सुधीर जी और उनकी टीम (विशेषकर विवेक कुमार) ने कविता कोश को नि:शुल्क सर्वर उपलब्ध कराया है और वे सर्वर की देख-रेख भी करते रहे हैं।

इनके अलावा कविता कोश के सभी स्वयंसेवक प्रकाश मनु जी, सुप्रिया सिंह वीणा, अमित जैन, अनिमेष मुखर्जी, प्रतिभा सक्सेना जी, अभिषेक अम्बर को भी विशेष धन्यवाद देना चाहेंगे। आप सभी ने अलग-अलग माध्यमों से कोश के विकास में सहायता की है।

जैसा कि हम हर वर्षगांठ पर प्रयास करते हैं -- इस वर्ष भी हमनें कुछ नया करने की कोशिश की है। आज से हम कविता कोश के यूट्यूब चैनल की शुरुआत कर रहे हैं। कोश में ऑडियो और वीडियो विभाग कई वर्ष पहले ही स्थापित कर दिए गए थे लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से इन्हें विकसित नहीं किया जा सका। अब हम एक बार फिर से इन विभागों को विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं।

कोश के यूट्यूब चैनल को देखने के लिए https://youtube.com/kavitakosh पर जाएँ।

कुछ और नए प्रयासों पर इस समय काम जारी है... इनके नतीजे आने वाले दिनों में आपके सामने होंगे।

आज से 11 वर्ष पूर्व हमनें जिस उत्साह और ऊर्जा के साथ यह सामाजिक यात्रा आरम्भ की थी... हम आज उससे भी अधिक उत्साह और ऊर्जा के साथ बारहवें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।

यह एक सामाजिक परियोजना है... समाज की, समाज के द्वारा और समाज के लिए... स्वयंसेवा करें और भाषा, साहित्य व संस्कृति के संरक्षण के इस अभियान में हमारा साथ दें।

--ललित कुमार