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"कहत गुपाल माल मंजुमनि पुंजनि की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर

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कहत गुपाल माल मंजुमनि पुंजनि की,
 
कहत गुपाल माल मंजुमनि पुंजनि की,
गुंजनि की माला की मिसाल छवि छावै ना ।
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::गुंजनि की माला की मिसाल छवि छावै ना ।
 
कहै रतनाकर रतन मैं किरीट अच्छ,
 
कहै रतनाकर रतन मैं किरीट अच्छ,
मोर-पच्छ-अच्छ-लच्छ असहू सु-भावै ना ॥
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::मोर-पच्छ-अच्छ-लच्छ असहू सु-भावै ना ॥
 
जसुमति मैया की मलैया अरु माखन कौ,
 
जसुमति मैया की मलैया अरु माखन कौ,
कामधेनु गोरस हूँ गूढ़ गुन आवै ना ।
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::कामधेनु गोरस हूँ गूढ़ गुन आवै ना ।
 
गोकुल की रज के कनूका औं तिनूका सम,
 
गोकुल की रज के कनूका औं तिनूका सम,
संपति त्रिलोक की बिलोकन मैं आवै ना ॥10॥
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::संपति त्रिलोक की बिलोकन मैं आवै ना ॥10॥
 
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09:35, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण

कहत गुपाल माल मंजुमनि पुंजनि की,
गुंजनि की माला की मिसाल छवि छावै ना ।
कहै रतनाकर रतन मैं किरीट अच्छ,
मोर-पच्छ-अच्छ-लच्छ असहू सु-भावै ना ॥
जसुमति मैया की मलैया अरु माखन कौ,
कामधेनु गोरस हूँ गूढ़ गुन आवै ना ।
गोकुल की रज के कनूका औं तिनूका सम,
संपति त्रिलोक की बिलोकन मैं आवै ना ॥10॥