भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"किस को देखा है ये हुआ क्या है / 'अख्तर' शीरानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='अख्तर' शीरानी }} Category:गज़ल <poeM> किस क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो
 
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
है इस दर्द की दवा क्या है
 
है इस दर्द की दवा क्या है
  
हूरें नेकों में बात चुकी होंगी
+
हूरें नेकों में बँट चुकी होंगी
 
बाग़-ए-रिज़वाँ में अब रखा क्या है
 
बाग़-ए-रिज़वाँ में अब रखा क्या है
  

04:28, 12 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

किस को देखा है ये हुआ क्या है
दिल धड़कता है माजरा क्या है

इक मोहब्बत थी मिट चुकी या रब
तेरी दुनिया में अब धरा क्या है

दिल में लेता है चुटकियाँ कोई
है इस दर्द की दवा क्या है

हूरें नेकों में बँट चुकी होंगी
बाग़-ए-रिज़वाँ में अब रखा क्या है

उस के अहद-ए-शबाब में जीना
जीने वालो तुम्हें हुआ क्या है

अब दवा कैसी है दुआ का वक़्त
तेरे बीमार में रहा क्या है

याद आता है लखनऊ 'अख़्तर'
ख़ुल्द हो आएँ तो बुरा क्या है.