भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कुछ तो दुनिया की इनायात / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | रचनाकार | + | {{KKGlobal}} |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर | |
− | + | }} | |
+ | {{KKCatGhazal}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया | ||
+ | और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया | ||
− | + | हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब | |
+ | आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया | ||
− | + | दिल तो रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहे | |
− | + | इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया | |
− | + | वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे | |
− | + | ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया | |
− | + | आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से | |
− | + | जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया | |
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से | + | |
− | जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया < | + |
11:20, 7 मई 2014 के समय का अवतरण
कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया
और कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
दिल तो रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहे
इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया
वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे
ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया
आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से
जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया