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"गरीबों के बारिश में घर गिर गये हैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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कि जब बाज़ कम्बख़्त पीछे पड़े हैं
  
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उधर उनके हाथों में लाठी व डंडे
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इधर हम सड़क पर निहत्थे खड़े हैं
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हुकूमत तुम्हारी महज़ चार दिन की
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बग़ावत के पर्चे शहर में बँटे हैं
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ग़रीबों के बच्चे बड़े सब्र वाले
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खिलौने भी मिट्टी के अच्छे लगे हैं
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उन्हें तुम दबाने की करते हो कोशिश
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13:10, 16 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

गरीबों के बारिश में घर गिर गये हैं
बड़े लोग फिर भी मज़े ले रहे हैं

कबूतर बेचारे कहाँ जाँय छुपने
कि जब बाज़ कम्बख़्त पीछे पड़े हैं

उधर उनके हाथों में लाठी व डंडे
इधर हम सड़क पर निहत्थे खड़े हैं

हुकूमत तुम्हारी महज़ चार दिन की
बग़ावत के पर्चे शहर में बँटे हैं

ग़रीबों के बच्चे बड़े सब्र वाले
खिलौने भी मिट्टी के अच्छे लगे हैं

उन्हें तुम दबाने की करते हो कोशिश
इरादे हमारे जो हमसे बड़े हैं