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"गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ | गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ | ||
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मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई | मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई |
17:23, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ
मुखिया का दालान देखकर आया हूँ।
मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई
सुखिया को हैरान देखकर आया हूँ।
कागज़ पर पूरा पानी है नहरों में
सूख गया जो धान देखकर आया हूँ।
कल तक टूटी छान न थी अब पक्का है
नया-नया परधान देखकर आया हूँ।
लछमिनिया थी चुनी गयी परधान मगर
उसका ‘पती-प्रधान’ देखकर आया हूँ।
बंगले के अन्दर में जाने क्या होगा
अभी तो केवल लॉन देखकर आया हूँ।
रोज सदन में गाँव पे चर्चा होती है
‘मेरा देश महान’ देखकर आया हूँ।