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"घर / अनुभूति गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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18:35, 2 मई 2017 के समय का अवतरण

एक सुन्दर-सा घर बनायेंगे,
फूलों की बेलों से उसको
बड़े चाव से हम सजायेंगे।

सभी प्यार से वहाँ रहेंगे,
खुशियों से घर के आँगन का
कोना-कोना खूब भरेंगे।

घर में दादा-दादी होंगे,
मम्मी होंगी पापा होंगे,
प्यार करेंगी हमें बुआ जी
भाई बहन भी संग-संग होंगे।

अपनों के सँग-साथ प्यार से
घर स्वर्ग-सा सुन्दर बन जाता है,
बिना बच्चों के घर-आँगन तो
सूना सा हो जाता है।

एक सुन्दर-सा घर बनायेंगे,
फूलों की बेलों से उसको
बड़े चाव से हम सजायेंगे।