भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घाव / रेखा चमोली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:45, 28 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा चमोली |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोटी-बड़ी
अपने-परायों से
जाने-अनजाने
जान-बूझ कर
मिलीं कई चोटें
पर कभी
एक उफ भी ना निकली
घाव
जो आत्मा तक को छलनी कर पाए
प्रेम के दिए हुए हैं।