"चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी | चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी | ||
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हाँ जी ढोला, पीढ़ा लाल गुलाल | हाँ जी ढोला, पीढ़ा लाल गुलाल | ||
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तकवो तो ले ल्यूँ जी, भँवरजी, बीजलसार को जी | तकवो तो ले ल्यूँ जी, भँवरजी, बीजलसार को जी | ||
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ओ जी म्हारी जोड़ी रा भरतार | ओ जी म्हारी जोड़ी रा भरतार | ||
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पूणी मंगा ल्यूँ जी क बीकानेर की जी | पूणी मंगा ल्यूँ जी क बीकानेर की जी | ||
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म्होरे म्होरे री कातूँ, भँवर जी, कूकड़ी जी | म्होरे म्होरे री कातूँ, भँवर जी, कूकड़ी जी | ||
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हाँ जी ढोला, रोक रुपइये रो तार | हाँ जी ढोला, रोक रुपइये रो तार | ||
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म्हे कातूँ थे बैठा विणज ल्यो जी | म्हे कातूँ थे बैठा विणज ल्यो जी | ||
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ओ जी म्हारी लल नणद रा ओ वीर | ओ जी म्हारी लल नणद रा ओ वीर | ||
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अब घर आओ प्यारी ने पलक न आवड़े जी | अब घर आओ प्यारी ने पलक न आवड़े जी | ||
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गोरी री कमाई खासी राँडिया रे | गोरी री कमाई खासी राँडिया रे | ||
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हाँ ए गोरी, कै गांधी कै मणियार | हाँ ए गोरी, कै गांधी कै मणियार | ||
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म्हे छाँ बेटा साहूकार रा जी | म्हे छाँ बेटा साहूकार रा जी | ||
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ए जी म्हारी घणीए प्यारी नार | ए जी म्हारी घणीए प्यारी नार | ||
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गोरी री कमाई सूँ पूरा न पड़े जी | गोरी री कमाई सूँ पूरा न पड़े जी | ||
+ | '''भावार्थ''' | ||
− | + | --'एक रंगीला चरखा ले लूंगी मैं, ओ प्रियतम ! अजी ओ ढोला, एक लाल-गुलाल पीढ़ा ले लूंगी । उत्तम, पक्के लोहे का, ओ प्रियतम ! मैं तकला ले लूंगी । अजी ओ, मेरी जोड़ी के भरतार ! बीकानेर से पूनियाँ मंगवा लूंगी, एक-एक मोहर के दाम से कातूंगी एक-एक कूकड़ी (पूनी) । अजी ओ ढोला, एक-एक रुपए का होगा एक-एक धागा । मैं कातूंगी और तुम बैठे इसका व्यवसाय करना । अजी ओ, मेरी लाल ननद के भाई! जल्दी घर आओ, तुम्हारी प्यारी को अब पल भर भी चैन नहीं ।' | |
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− | --'एक रंगीला चरखा ले लूंगी मैं, ओ प्रियतम ! अजी ओ ढोला, एक लाल-गुलाल पीढ़ा ले लूंगी । उत्तम, पक्के | + | |
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− | लोहे का, ओ प्रियतम ! मैं तकला ले लूंगी । अजी ओ, मेरी जोड़ी के भरतार ! बीकानेर से पूनियाँ मंगवा लूंगी, | + | |
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− | एक-एक मोहर के दाम से कातूंगी एक-एक कूकड़ी (पूनी) । अजी ओ ढोला, एक-एक रुपए का होगा एक-एक | + | |
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− | धागा । मैं कातूंगी और तुम बैठे इसका व्यवसाय करना । अजी ओ, मेरी लाल ननद के भाई! जल्दी घर आओ, | + | |
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− | तुम्हारी प्यारी को अब पल भर भी चैन नहीं ।' | + | |
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− | का बेटा हूँ । हे मेरी बहुत प्यारी नारी ! पत्नी की कमाई से काम नहीं चलता ।' | + | --'स्त्री की कमाई खाएगा कोई नामर्द, या कोई इत्र बेचने वाला, या कोई मनिहार, ओ रूपवती ! मैं तो साहूकार का बेटा हूँ । हे मेरी बहुत प्यारी नारी ! पत्नी की कमाई से काम नहीं चलता ।' |
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06:57, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
चरखो तो ले ल्यूँ, भँवरजी, रांगलो जी
हाँ जी ढोला, पीढ़ा लाल गुलाल
तकवो तो ले ल्यूँ जी, भँवरजी, बीजलसार को जी
ओ जी म्हारी जोड़ी रा भरतार
पूणी मंगा ल्यूँ जी क बीकानेर की जी
म्होरे म्होरे री कातूँ, भँवर जी, कूकड़ी जी
हाँ जी ढोला, रोक रुपइये रो तार
म्हे कातूँ थे बैठा विणज ल्यो जी
ओ जी म्हारी लल नणद रा ओ वीर
अब घर आओ प्यारी ने पलक न आवड़े जी
गोरी री कमाई खासी राँडिया रे
हाँ ए गोरी, कै गांधी कै मणियार
म्हे छाँ बेटा साहूकार रा जी
ए जी म्हारी घणीए प्यारी नार
गोरी री कमाई सूँ पूरा न पड़े जी
भावार्थ
--'एक रंगीला चरखा ले लूंगी मैं, ओ प्रियतम ! अजी ओ ढोला, एक लाल-गुलाल पीढ़ा ले लूंगी । उत्तम, पक्के लोहे का, ओ प्रियतम ! मैं तकला ले लूंगी । अजी ओ, मेरी जोड़ी के भरतार ! बीकानेर से पूनियाँ मंगवा लूंगी, एक-एक मोहर के दाम से कातूंगी एक-एक कूकड़ी (पूनी) । अजी ओ ढोला, एक-एक रुपए का होगा एक-एक धागा । मैं कातूंगी और तुम बैठे इसका व्यवसाय करना । अजी ओ, मेरी लाल ननद के भाई! जल्दी घर आओ, तुम्हारी प्यारी को अब पल भर भी चैन नहीं ।'
--'स्त्री की कमाई खाएगा कोई नामर्द, या कोई इत्र बेचने वाला, या कोई मनिहार, ओ रूपवती ! मैं तो साहूकार का बेटा हूँ । हे मेरी बहुत प्यारी नारी ! पत्नी की कमाई से काम नहीं चलता ।'