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"चाँदी के दिन-सोने के दिन / पंख बिखरे रेत पर / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
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00:24, 15 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
चाँदी के दिन
सोने के दिन
खुशबू के टापू पर होने के दिन
फूलों के तट पर
चन्दन की नावें
आओ, उन्हें
मूँगे के वन तक पहुँचावें
आये फिर सपनों को बोने के दिन
चाँदी के दिन
सोने के दिन
धूप की हथेली पर
मेंहदी-रेखाएँ
आओ, उन्हें
सीपी के जल से नहलाएँ
सूरज को लहरों से धोने के दिन
चाँदी के दिन
सोने के दिन
चुटकी भर साँसों की
सिंदूरी बातें
आओ, उन्हें
जादुई गुफाओं में कातें
हुए साथ जंगल में खोने के दिन
चाँदी के दिन
सोने के दिन