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चांद से फूल से या मेरी ज़ुबाँ से सुनिये / निदा फ़ाज़ली

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शायर: निदा फ़ाज़ली

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चाँद से फूल से या मेरी ज़ुबाँ से सुनिये
हर तरफ़ आप का क़िस्सा जहाँ से सुनिये


सब को आता है दुनिया को सता कर जीना
ज़िन्दगी क्या मुहब्बत की दुआ से सुनिये


मेरी आवाज़ पर्दा मेरे चेहरे का
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ मुझको वहाँ से सुनिये


क्या ज़रूरी है कि हर पर्दा उठाया जाये
मेरे हालात अपने अपने मकाँ से सुनिये