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"चाहत जौ स्वबस संयोग स्याम-सुन्दर कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’" के अवतरणों में अंतर
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चाहत जौ स्वबस संयोग स्याम-सुन्दर कौ, | चाहत जौ स्वबस संयोग स्याम-सुन्दर कौ, | ||
− | जोग के प्रयोग में हियौ तो बिलस्यौ रहै । | + | ::जोग के प्रयोग में हियौ तो बिलस्यौ रहै । |
कहै रतनाकर सु-अंतर मुखी ह्वै ध्यान, | कहै रतनाकर सु-अंतर मुखी ह्वै ध्यान, | ||
− | मंजु हिय-कंज-जगी जोति मैं धस्यौ रहै ॥ | + | ::मंजु हिय-कंज-जगी जोति मैं धस्यौ रहै ॥ |
ऐसे करौं लीन आतमा कौं परमात्मा में, | ऐसे करौं लीन आतमा कौं परमात्मा में, | ||
− | जामैं जड़-चेतन बिलस बिकस्यौ रहै । | + | ::जामैं जड़-चेतन बिलस बिकस्यौ रहै । |
मोह-बस जोहत बिछोह जिय जाकौ छोहि, | मोह-बस जोहत बिछोह जिय जाकौ छोहि, | ||
− | सो तौ सब अंतर-निरंतर बस्यौ रहै ॥30॥ | + | ::सो तौ सब अंतर-निरंतर बस्यौ रहै ॥30॥ |
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09:19, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
चाहत जौ स्वबस संयोग स्याम-सुन्दर कौ,
जोग के प्रयोग में हियौ तो बिलस्यौ रहै ।
कहै रतनाकर सु-अंतर मुखी ह्वै ध्यान,
मंजु हिय-कंज-जगी जोति मैं धस्यौ रहै ॥
ऐसे करौं लीन आतमा कौं परमात्मा में,
जामैं जड़-चेतन बिलस बिकस्यौ रहै ।
मोह-बस जोहत बिछोह जिय जाकौ छोहि,
सो तौ सब अंतर-निरंतर बस्यौ रहै ॥30॥