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"जिंदगी को सजा नहीं पाया / जगदीश रावतानी आनंदम" के अवतरणों में अंतर
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− | + | तीरगी को हटा नही पाया | |
− | दिल | + | प्यार का मैं सबूत क्या देता |
− | + | चीर कर दिल दिखा नही पाया | |
− | + | जो थका ही नही सज़ा देते | |
− | + | वो खता क्यों बता नही पाया | |
− | + | वो जो बिखरा है तिनके की सूरत | |
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10:10, 26 अगस्त 2009 का अवतरण
जिंदगी को सजा नही पाया
बोझ इसका उठा नही पाया
खूब चश्मे बदल के देख लिए
तीरगी को हटा नही पाया
प्यार का मैं सबूत क्या देता
चीर कर दिल दिखा नही पाया
जो थका ही नही सज़ा देते
वो खता क्यों बता नही पाया
वो जो बिखरा है तिनके की सूरत
बोझ अपना उठा नही पाया
आईने में खुदा को देखा जब
ख़ुद से उसको जुदा नही पाया
नाम जगदीश है कहा उसने
और कुछ भी बता नही पाया