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"जीने वाले कज़ा से डरते हैं / शकील बँदायूनी" के अवतरणों में अंतर
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13:42, 20 अप्रैल 2016 के समय का अवतरण
जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं
ज़हर पीकर दवा से डरते हैं
ज़ाहिदों को किसी का ख़ौफ़ नहीं
सिर्फ़ काली घटा से डरते हैं
आह जो कुछ कहे हमें मंज़ूर
नेक बंदे ख़ुदा से डरते हैं
दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
अज़्म-ओ-हिम्मत के बावजूद "शकील"
इश्क़ की इब्तदा से डरते हैं