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जीव दया चेतावनी / शब्द प्रकाश / धरनीदास

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जीवन थोर बचो भौ भोर, कहा धनजोरि करोर बढ़ाये।
जीव-दया धरि साधु-कि संगति, पैहो अभयपद दास कहाये॥
जा सन कर्म छपावत हो सो तो, देखत है घट में घर छाये।
वेगि भजो धरनी शरनी न तो आवत काल कमान चढ़ाये॥16॥