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तुझ से रिश्ता है जो वो जान से प्यारा है मुझे / सिया सचदेव

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तुझ से रिश्ता है जो वो जान से प्यारा है मुझे
कब तअल्लुक़ तेरा ग़ैरों से गवारा है मुझे

सारी ख़ुशियाँ मेरी वाबस्ता हैं तेरे दम से
एक तेरा ही तो दुनिया में सहारा है मुझे

मैंने जिस तरह भी बरता है तुझे, जाने दे
ज़िन्दगी तूने अजब तौर गुज़ारा है मुझे

मुझ पे दुनिया की खुली तल्ख़ हक़ीक़त जब से
दर्द ने गहरे समंदर में उतारा है मुझे

जाने किस सोच में बैठी थी मैं तन्हा यूँ ही
कैसी आहट सी हुई किसने पुकारा है मुझे

जीत जाने की ख़ुशी ख़ाक हुई पल भर में
हाँ सिया उसने बड़ी शान से हारा है मुझे