भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तोरे सोहे पाव पैजनिया माई के बलमा / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:19, 27 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तोरे सोहे पांव पैजनिया, माई के बलमा।
माथे मुकुट माल रतनन की
ओढ़ें लाल उढ़निया, माई के बलमा। तोरे...
हाथन में हंथचूरा सोहे,
अंगुरिन बीच मुदरिया, माई के बलमा। तोरे...
बाजूबन्द भुजन पे सोहे,
कमर में करधनिया, माई के बलमा। तोरे...
एक हाथ में खड़ग लिये हैं।
दूजे तीर कमनिया, माई के बलमा। तोरे...
तीजे हाथ त्रिशूल बिराजे
चौथे खप्पर अंगनिया, माई के बलमा। तोरे...
सिंह सवार भई जगतारन
छबि न जात बखनियां, माई के बलमा। तोरे...
पांच भगत माई तोरे जस गावें।
छवि न जात बखनियां, माई के बलमा। तोरे...