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"दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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जुर्म किसका था, सज़ा किसको मिली
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12:12, 25 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

दिल पे एक तरफ़ा क़यामत करना
मुस्कुराते हुए रुखसत करना

अच्छी आँखें जो मिली हैं उसको
कुछ तो लाजिम हुआ वहशत करना

जुर्म किसका था, सज़ा किसको मिली
अब किसी से ना मोहब्बत करना

घर का दरवाज़ा खुला रखा है
वक़्त मिल जाये तो ज़ह्मत करना