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"देखलीं जे बइठि के दरिया किनारे/ मनोज भावुक" के अवतरणों में अंतर

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देखलीं जे बइठि के दरिया किनारे
 
देखलीं जे बइठि के दरिया किनारे
 
डूबके देखला प लागल भिन्न, यारे
 
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ख्वाब में भी हम कबो सोचले ना होखब
 
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वक्त ले जाई कबो ओहू दुआरे
 
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22:52, 21 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण

देखलीं जे बइठि के दरिया किनारे
डूबके देखला प लागल भिन्न, यारे

घर के कीमत का हवे, ऊहे बताई
जे रहत फुटपाथ पर लँगटे-उघारे

ना परे मन घर कबो बबुआ के भलहीं
रोज बुढ़िया भोर में कउवा उचारे

बस कहे के हम आ ऊ साथ रहीले
साथ का, जब पड़ गइल मन में दरारे

ख्वाब में भी हम कबो सोचले ना होखब
वक्त ले जाई कबो ओहू दुआरे