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"नए आलू आये बिकन बंगले में / मालवी" के अवतरणों में अंतर

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18:50, 30 जनवरी 2015 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नए आलू आये बिकन बंगले में
सास नहीं घर में, ससुर नहीं घर में
मैं अलबेली, बलम लश्कर में

डालो गले बिन वैयां
हमार जिया ना माने

बेलम शौकीन मिले मेरी गुईयां