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नील-स्याम अद्‌‌भुत तेजोमय बालक / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग जोगिया-ताल कहरवा)
नील-स्याम अद्‌‌भुत तेजोमय बालक कमल-नयन भुज चार।
 चक्र-गदा दक्षिण-कर शोभित, बाम शङ्ख-पंकजकी धार॥
 कौस्तुभमणि, श्रीवत्स वक्षपर उरमें रत्न, कुञ्सुमके हार।
 अति सुन्दर पीताबर कटिमें, करधनि मणिमय शोभा-सार॥
 मणिवैदूर्य-महार्घ-विनिर्मित मुकुट शीश घुँघराले केञ्श।
 चमक रहे अति सूर्य-रश्मिसे पाकर कुञ्ण्डल-कान्ति विशेष॥
 भुज अन्गद राजत, कर कंकण, रत्नाभरण सुशोभित वेश।
 परम मनोहर रूप-माधुरी सुन्दरताकी सीमा-शेष॥