भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम / अनुलता राज नायर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:34, 6 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुलता राज नायर |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने बोया था उस रोज़
कुछ,
बहुत गहरे, मिट्टी में
तुम्हारे प्रेम का बीज समझ कर.
और सींचा था अपने प्रेम से
जतन से पाला था.
देखो!
उग आयी है एक नागफनी...

कहो!तुम्हें कुछ कहना है क्या??