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"फिर उन्हें हम पुकार बैठे हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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हम भी पीने उधार बैठे हैं | हम भी पीने उधार बैठे हैं | ||
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हंस जमुना के पार बैठे हैं | हंस जमुना के पार बैठे हैं | ||
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और कुछ हम सँवार बैठे हैं | और कुछ हम सँवार बैठे हैं | ||
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प्यार पर पहरेदार बैठे हैं | प्यार पर पहरेदार बैठे हैं | ||
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02:00, 25 जून 2011 के समय का अवतरण
फिर उन्हें हम पुकार बैठे हैं
फिर कोई दाँव हार बैठे हैं
दिल कहाँ और कहाँ तेरी दुनिया!
शीशा पत्थर पे मार बैठे हैं
ज़िन्दगी कुछ तो भर दे प्याले में
हम भी पीने उधार बैठे हैं
होंगे मोती कहीं उन आँखों में
हंस जमुना के पार बैठे हैं
कुछ तो सुन्दर था रूप पहले से
और कुछ हम सँवार बैठे हैं
कैसे दिल चीरकर दिखायें गुलाब
प्यार पर पहरेदार बैठे हैं