भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बन्धुता ले बिराने मिले / शिव ओम अम्बर

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:44, 13 अप्रैल 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव ओम अम्बर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बन्धुता ले बिराने मिले,
बेशकीमत ख़ज़ाने मिले।

गीत के इक अदद वक्ष में,
सौ ग़मों के ठिकाने मिले।

छद्म सन्तत्व ओढ़े यहाँ,
वंचकों के घराने मिले।

पृष्ठ दैनन्दिनी के पढ़े,
आज गुजद्यरे ज़माने मिले।

मित्रगण क्या मिले राह में,
स्वस्तिप्रद शामियाने मिले।