भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भादव हे सखि जन्म लीन्हा / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:03, 1 जुलाई 2014 का अवतरण (' {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=ऋतू ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भादव हे सखि जन्म लीन्हा, नग्र मथुरा ग्राम यो
बसू गोकुल ब्रज कान्हा, बनि यशोदाक लाल यो
आसिन हे सखि कंस सूनल, कृष्ण लेल अवतार यो
जाह पूतना यशोदा आँगन, कृष्ण लाहु उठाय यो
कातिक हे सखि भेख बदलल, लेल लहुरी हाथ यो
बिहुसि पुछल यशोदाजी सऽ, बालक देखब तोर यो
अगहन हे सखि आदर कीन्हा, आशीष देल भरि मोन यो
धन्य भाग हमर द्वार पर, विप्र आयल पाहुन यो
पूस हे सखि बालक देखल, आशीष देल भरि मोन यो
लेहु पुतना गोद अपना, बदन बिहुँसि लगाउ यो
माघ हे सखि हम तऽ जानल, इहो थिक कंसक दूत यो
कंठ दाबल उदर फाड़ल, पूतना खसल मुरुछाइ यो
फागुन हे सखि हम नहि जानल, इहो थिका पूर्णब्रह्म यो
बालक जानि हम गोद लीन्हा, कृष्ण कयल जीवघात यो
चैत हे सखि शेषनाग नाथल, लेल पतरा हाथ यो
चहुदिस मोहन फीरि आबथि, बैसल यशोदाकेँ गोद यो
बैसाखहे सखि उषम लागे, आनन्द भेल गोकुल के लोक यो
गात हुनका शोभनि पीताम्बर, पैर झुनुकी बाज यो
जेठ हे सखि गइआ चराबथि, साँझ घुरथि मुरारि यो
संग सखा मिलि कुंज बनमे, मुरली टेरथि भगवान यो
अखाढ़ हे सखि गम-गम करतु हैं, चहुँदिस बरिसत मेघ यो
लौका जे लौके बिजुरी छिटकय, दमकय कानक कुंडल यो
साओन हे सखि पूर मास बारह, कृष्ण उतरथि पार यो
छत्रदास गुलाम हरिजी केँ, पूरल बारह मास यो